सदर अनुमंडल पलामू के विभिन्न कार्यस्थलों से 19 बाल श्रमिक मुक्त कराये गए, मुक्त कराये गए बच्चों में 4 बच्चियां भी शामिल| कई बाल श्रमिकों ने स्कूल का मुँह तक नहीं देखा |
एक बाल श्रमिक ने कहा कि स्कूल में पढ़ाई का न होना उसका स्कूल न जाने का सबसे बड़ा कारण।
करीब 13 वर्षीय एक बच्ची आज तक स्कूल नहीं गई।
बचपन बचाओ आंदोलन, प्रेरणा संस्था एवं श्रम विभाग के संयुक्त प्रयास एवं पलामू जिला पुलिस के सहयोग से दिनांक 27 दिसम्बर को 19 बाल श्रमिक मुक्त कराए गए।
बाल श्रम से मुक्त कराने का यह अभियान जिले के चैनपुर, सदर एवं सतबरवा थाना अंतर्गत विभिन्न प्रतिष्ठानों एवं एक ईंट भठ्ठे में चलाया गया।
बताते चलें कि नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी की संस्था बचपन बचाओ आंदोलन की झारखंड की सहयोगी संस्था प्रेरणा ने विगत कुछ दिनों पूर्व ही सेमरा में बाल श्रम उन्मूलन पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया था।
इस अभियान के पूर्व, प्रेरणा एवं श्रम विभाग के द्वारा 86 बाल श्रमिकों को चिन्हित कर लिया गया था।
अभियान के दौरान, चैनपुर थाना अंतर्गत एक ईँट भट्ठे एवं मेदिनीनगर-रांची पथ पर सतबरवा तक विभिन्न ढाबों एवं दुकानों में छापेमारी की गई।
बाल श्रम से मुक्त कराये गए सभी बच्चों को कल देर शाम बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अब, बच्चे बाल कल्याण समिति के संरक्षण में हैं। बताना आवश्यक है कि बाल कल्याण समिति देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के सर्वोत्तम हित में निर्णय लेने हेतु एक विधिक निकाय है, जिसका गठन किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत किया गया है।इन बच्चों का समुचित पुनर्वास हेतु महत्वपूर्ण निर्णय लेने एवं तदनुसार आदेश पारित करना बाल कल्याण समिति की महत्वपूर्ण भूमिका है।
दूसरी ओर, मुक्त कराये गए बाल श्रमिकों के नियोक्ताओं के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करने हेतु शिकायत भी दे दी गई है।
छापामारी टीम में शामिल झारखंड राज्य बाल श्रम आयोग की पूर्व अध्यक्षा सुश्री शांति किंडो ने कहा- मुक्त कराये गए बाल श्रमिकों का पुर्नवास सर्वोच्च प्राथमिकता में होना चाहिए।
श्रम अधीक्षक अनिल रंजन ने कहा- बाल एवं किशोर श्रम(प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 2016 एवं विभिन्न श्रम कानूनों के अनुसार विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।
छापामारी दल के सदस्य एवं बचपन बचाओ आंदोलन के प्रतिनिधि ब्रजेश कुमार मिश्र ने कहा- बच्चों की समुचित काउन्सलिंग के बाद, बंधुआ मजदूरी प्रणाली(उत्सादन) अधिनियम 1976 की धारा 2 के तहत बंधुआ मजदूरी प्रणाली के अवयव भी मिल सकते हैं। ऐसा होने पर कुछ बच्चों को केंद्र सरकार की सेंट्रल सेक्टर स्कीम फ़ॉर रिहैबिलिटेशन ऑफ बोंडेड लेबर 2016 का लाभ भी मिल सकता है। इसके लिए, उक्त अधिनियम के तहत जिला या अनुमंडल स्तर पर गठित निगरानी समिति के द्वारा समुचित निर्णय लिए जाने का प्रावधान है।
प्रेरणा संस्था के सचिव आलोक कुमार ने कहा- प्रेरणा संस्था बाल श्रम उन्मूलन हेतु गठित डिस्ट्रिक्ट टास्क फोर्स को सहयोग करने कार्य करेगी
बाल श्रम उन्मूलन के दिशा में इस छापेमारी अभियान में झारखण्ड राज्य बाल श्रम आयोग की पूर्व अध्यक्ष शांति किंडो, श्रम अधीक्षक अनिल रंजन, प्रेरणा संस्था के सचिव आलोक कुमार, बचपन बचाओ आंदोलन के प्रतिनिधि ब्रजेश कुमार मिश्र,जिला पुलिस की टीम एवं प्रेरणा संस्था के विभिन्न कार्यकर्ता गण शामिल थे।